हमने अपने मंदिरों को टूटते और जलते देखा फिर भी सनातन संस्कृति हमारे हृदय में जीवित – शशांक मणि



देवरिया: शनिवार को देवरिया जिले के बरनवाल बाग में संस्कृत विकास परिषद द्वारा सनातन संस्कृत और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद विचार गोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने वर्चुअल माध्यम से शिरकत की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि दिनेश शर्मा ने कहा कि संस्कृति और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के साथ साथ सनातन धर्म के कई मूलभूल सिद्धांतों को इस कार्यक्रम के जरिए लोगों के बीच उजागर करने का संकल्प महत्वपूर्ण भी है, और प्रासंगिक भी। यह कार्यक्रम उन भावनाओं को समर्थन करता है जो हमारे समृद्धि और एकता की ओर ले जाते हैं। भारत भौतिक स्वरूप में ही सुंदरता नही है, इसका सांस्कृतिक इतिहास और सुंदरता विश्व में मानी जाती है।


देवरिया ने भारतीय समृद्धि में अपना योगदान दिया है और कई महान लोगों ने इस भूमि से अपने जीवन की लक्ष्य प्राप्ति की है जिनके विचारों ने हमेशा लोगों को प्रभावित किया है। चाहे हम स्वतंत्रता संग्राम समर्पण आंदोलनकारी रामचंद्र विद्यार्थी की बात करें या जिनकी स्मृति में यह कार्यक्रम आयोजन हुआ है वैसे महाज्ञानी पंडित सूरत नारायण मणि त्रिपाठी जी की। पंडित सुरती नारायण मणि त्रिपाठी जी ने देवरिया के लिए सामाजिक जागरूकता और प्रगति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है, शिक्षा और साहित्य में अपने अनूठे योगदान से क्षेत्र और राज्य में ख्याति पाई। 


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्कृत विकास परिषद के अध्यक्ष शशांक मणि ने कहा कि भारत एक समय पर दुनिया की सबसे कुशल अर्थव्यवस्था थी I लेकिन बहारी आक्रमणों के कारण हमारी संस्कृति के कुछ हिस्से अस्त-व्यस्त हो गये - कहीं हमने अपने मंदिरों को टूटते देखा तो कभी विश्व विद्यालय को जलतेI फिर भी सनातन संस्कृती के साथ भारतीय साहित्य, कला और भाषा को जीवित रखा गया जिसे फिर से पुनर जनम आज मिल रहा है।  इसका श्रेय हमारे ऋषि और मुनियो को जाता है और आधुनिक परीवेश में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भी। 


भारत की संस्कृति राम और बुद्ध के समय से जीवनव्यापन करने की एक कला है जिसे हम आज के समय में मिलकर पुनर्स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे की मैंने अपनी नयी किताब में भी कहा है, यह पुनरर्स्थापना मैं भी परिश्रम है, शोध है, और भारतीय आधुनिकता के बीज भी है।  आज के समय में हमने योग, आयुर्वेद, वेदिक गणित, भिन्न कलाओं, अनेको भारतीय सांस्कृतिक विरासतों को पुनर्जीवित करना है।

 

संस्कृत विकास परिषद देवरिया और कुशीनगर को इसी लक्ष्य की ओर ले जाना वाला एक अनूठा उदहारण है जिसकी स्थापना मेरे बाबा स्वर्गीय पंडित सुरति नारायण मणि त्रिपाठी की स्मृति में हुईI इससे संस्कृति और सांस्कृतिक उपलब्धियां अपने क्षेत्र में अपने सामान्य जीवन में आएगी, कुछ उद्यमिता से आर्थिक लाभ भी आएगा। और यदि ऐसा होता है कि हमारा क्षेत्र सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देगा और और अपने वेदों, शास्त्रों, इतिहास के साथ ही हमारे नवयुवकों, नवयुवतियों और नागरिकों को एकजुट होकर काम करने की प्रेरणा देगा। यदि कुछ ऐसी देशद्रोही ताकतों ने हाल ही में सनातन धर्म पर निशाना साधा है तो हम सकारात्मक सोच से महज उनकी बातों को काटे नहीं अपितु परिश्रम से उद्यम से संस्कृत भाषा और अपनी संस्कृति को नया वेग दें।


सनातन ही सत्य है, सनातन ही भारतीयता है – विजय लक्ष्मी गौतम

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि उत्तर-प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री विजय लक्ष्मी गौतम ने कहा कि सनातन धर्म ही सत्य है, हमारी परंपराएं और मान्यताएं प्राचीन है। सनातन और संस्कृति से ही हमारे आचरण आज भी विश्व में सबसे अच्छे हैं।


सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से पूर्वांचल का अहम योगदान – भूपेंद्र सिंह

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि भाजपा देवरिया के जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सबसे बेहतर उदाहरण पूर्वांचल है। यहां के युवाओं के हृदय में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद बसता है। सेना में यहां के जांबाज युवाओं ने सहभागिता की और कई वीरों ने मां भारती की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।मंच संचालन अभय द्विवेदी जी ने किया। कार्यक्रम में कुशीनगर जिलाध्यक्ष दुर्गेश राय जी, पूर्व विधानपरिषद सदस्य महेंद्र यादव जी,पूर्व जिलाध्यक्ष अंतर्यामी सिंह, विजय कुमार दुबे जी, विजय बहादुर दुबे जी, अनिल मिश्रा जी, हेमंत मिश्रा जी उपस्थित थे|